दोस्तों की शिकायत करूं मैं

 दोस्तों की शिकायत करूं मैं 

 ये भी मुझको गंवारा नहीं है


शेर -

तीरगी के घने हिजाबों में नूर के चाँद झिलमिलाते हैं

जिंदगी की उदास राहों में बेवफा दोस्त याद आते हैं 

 दोस्तों की शिकायत करूं मैं 



 ये भी मुझको गंवारा नहीं है
 दोस्तों ने करम वो किये हैं 
 जिंदगी की तमन्ना नहीं है

सोच कर बेवफा मुझको कहिये 



खुल न जाए भरम आपका ही
आजमाया है दुनिया को मैंने 
आपने मुझको परखा नहीं है

हो के बेताब मैय्यत पे मेरी 



तुम ये क्यूँ बेनकाब आ गए हो
उम्र भर जिससे पर्दा किया था 
आज क्यूँ उससे पर्दा नहीं है

आप होंगे वफाओं के माईल 



एक दिन ये हकीकत है लेकिन
आपका तो भरोसा है मुझको 
जिंदगी का भरोसा नहीं है


जिद न कर आज दो घूँट पी ले 



शेर- 

ज़हिदां तू शराब पी ले , न कर तू कुछ इजतिराब पी ले

मैं तेरी मानूं नमाज पढ़ लूं, तू मेरी माने शराब पी ले
 


जिद न कर आज दो घूँट पी ले 
जिंदगी चार दिन की है जी ले
मोहतसिब अपनी किस्मत बना ले 
मयकदा है ये काबा नहीं है

हुस्न-ए-जाना अरे तौबा तौबा 



जब निगाहें  उठीं झुक गयीं हैं 
बारहां उनकों देखा है मैंने 

फिर भी जी भर के देखा नहीं है