ये कजरवी ना मेरी जान इख़्तियार करो
जो तुमसे प्यार करे तुम भी उससे प्यार करो
कहा जो मैं ने के दिल बेक़रार है मेरा
तो हँस के कहने लगे और बेक़रार करो
दिखाओं जाम ना भर कर मैं वादा खार नहीं
मेरी नज़र को नज़र से गुनाहगार करो
महक उठेगी जवानी गुलाब की सूरत
हसीन बाँहों को मेरे गले का हार करो
मुझको तस्लीम मैं शराबी हूं
फिर भी फितरत अजीब पाई है
मैं नज़र से शराब पिता हु
मेरी रिंदी भी पारसाई है
फ़िक्र - ए - सूद- ओ- जिया तो छुटेगी
मिन्नत-ए-इन-ओ-आं तो छूटेगी
खैर दोजख में मय मिले ना मिले
शैख़ साहिब से जां तो छूटेगी
शिकन ना डाल जबी पर शराब देते हुए
ये मुस्कुराती हुई चीज मुस्कुरा के पिला
सुरूर चीज़ की मिकदार पे नहीं मौकूफ
शराब कम है तो साकी नज़र मिला के पिला
कुछ मुरक्के है जिंदगानी के
चन्द उन्वान है कहानी के
चांदनी, ज़ुल्फ़, रक्स, शेर, शराब
मुख्तलिफ नाम है जवानी के
शराब-ए-शौक को मस्ती में ला के पीता हूं
मैं माँ सिवा की नज़र से छूपा के पीता हूं
रुकू से जो बचे सजदे में जाके पीता हूँ
वो रिंद हूं जो खुदा को दिखा के पिता हूं
तेरे दरवाजे पे चिलमन नहीं देखी जाती
जानेजा हमसे ये उलझन नहीं देखी जाती
रुख पे ये ज़ुल्फ़ की उलझन नहीं देखी जाती
फुल की गोद में नागन नहीं देखी जाती
बेहिजाबा ना मिलो हमसे ये पर्दा कैसा
बंद डोली में सुहागन नहीं देखी जाती
जाम में हो तो नज़र आए गुलाबी जोड़ा
हमसे बोतल में ये दुल्हन नहीं देखी जाती
घर बनाए किसी सेहरा में मुहब्बत के लिए
शहर वालो से ये जोगन नहीं देखी जाती
हम नज़र बाज है दिखला हमे देवी का जमाल
मूर्ती हमसे बरामन नहीं देखी जाती
ऐ फ़ना कह दे हवा से के उडा लेजाए
हमसे ये खाक-ए-नशेमन नहीं देखी जाती
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