प्रवाह कल्चरल टीम

Menu

  • मुख्यपृष्ठ
  • गीत सरगम
  • नुक्कड़-नाटक
  • फिल्म समीक्षा
  • दस्तावेज़
  • कविता पाठ
  • कहानी
  • साहित्यकार
  • नाटककार

साहित्यकार

1. हबीब जलिब
2. साहिर लुधियानवी
3. फैज़ अहमद फैज़
4. अदम गोंडवी
5. अकबर इलाहबादी
6. गिरीश तिवारी गिर्दा
7. असरार उल हक मजाज
8. केदारनाथ अग्रवाल
9. नागार्जुन
10.पान सिंह तोमर
11 बर्तोल्त ब्रेख्त
12.पेबलो नेरुदा
13.हरिशंकर परसाई
14.भूपेन हजारिका




Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest

No comments:

Post a Comment

Home
Subscribe to: Posts (Atom)

My Blog List

फॉलो करें

सबसे लोकप्रिय पोस्ट

  • आ गए यहां जवां कदम
    आ गए यहां जवां कदम (सरगम )   ला ला ला ला ....  सा ग रे ग रे सा सा, ग रे ग रे सा सा , ग रे ग रे सा सा आ गए यहां जवां कदम ...
  • दबे पैरों से उजाला आ रहा है
     दबे पैरों से उजाला आ रहा है फिर कथाओं को खँगाला जा रहा है धुंध से चेहरा निकलता दिख रहा है कौन क्षितिजों पर सवेरा लिख रहा है चुप्पियाँ हैं ज...
  • तेरे दरवाजे पे चिलमन नहीं देखी जाती
    ये कजरवी ना मेरी जान इख़्तियार करो जो तुमसे प्यार करे तुम भी उससे प्यार करो कहा जो मैं ने के दिल बेक़रार है मेरा तो हँस के कहने लगे और बेक़रार ...
  • काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे-नुसरत
    काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे -नुसरत  शेर- हुस्न वाले वफ़ा नहीं करते  इश्क़ वाले दागा नहीं करते  ज़ुल्म करना तो इनकी आदत है  ये किस...
  • हम देखेंगे
    हम देखेंगे ( सरगम) हम देखेंगे सा ऩि सा रेे ग सा लाजिम है कि हम भी देखेंगे सा ग ग ग ग ग म ग ग रे ग म सा ...
  • भगत सिंह - अंबेडकर के रास्ते
    सरगम  उठो मेरे देश, नये भारत के वास्ते सा ग रे ग, ग ग ग ग रे सा रे  भगत सिंह, अंबेडकर के रास्ते ध़ रे रे, ध़ रे रे, सा स...
  • हल्ला बोल
    नुक्कड़ नाटक (प्रवाह कल्चरल टीम ) नाटक का नाम :- हल्ला बोल ( नाटककार सफ़दर हाशमी जी के प्रसिद्ध नाटक  हल्ला बोल   से साभार ) एक पात्...
  • है कहां का इरादा तुम्हारा सनम
    है कहां का इरादा तुम्हारा सनम  शेर- आज की बात फिर नहीं होगी  ये मुलाक़ात फिर नहीं होगी ऐसे बादल तो फिर भी आएंगे  ऐसी बरसात फिर...
  • जनता के आवे पलटनियां
    जनता के आवे पलटनियां (सरगम ) झकझोर दुनिया,झकझोर दुनिया म म म ,म म म ध ,ध प ध  प म  ग,सा  जनता के ध़सा सा  जनता के आवे पलटनि...
  • दिलो में घाव ले के भी चल चलो
    दिलो में घाव : सरगम  चले चलो प़ सा सा सा  चले चलो दिलो में घाव ले के भी चल चलो प़ सा सा सा रे ग ग, प़ सा सा सा रे ग ग,  ...

लेबल

  • कविता
  • गद्य कविता
  • गोरख़ पाण्डेय
  • थोड़ा हटके
  • दुष्यंत कुमार
  • पाश
  • फैज़
  • व्यंग्य
  • हबीब जालिब

पसंदीदा ब्लॉग

  • A people Oriented News website एक जनपक्षधर समाचार साइट
    टीवी, मोबाइल और मीडिया के प्रभावों से उपजी विकल्पहीनता के बीच कहां जायें बच्चे ? - अभी भी स्कूलों में किताबें और उनकी सुरक्षा ही केंद्र में है, यहाँ तक कि प्रोजेक्ट्स संचालन में भी। किताबें किसी कमरे, किसी अलमारी, किसी बस(पुस्तकालय), किसी...
  • The Wire – Hindi
    170 से ज़्यादा कांवड़ियों पर गुंडागर्दी के केस दर्ज, अखाड़ा परिषद का शुचिता बनाए रखने का आह्वान - पिछले हफ्ते11 जुलाई को कांवड़ यात्रा शुरू होने के बाद से केवल पांच दिनों में 170 से अधिक कांवड़ियों पर विभिन्न आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज हुई हैं. कांवड़ियो...
  • जनचौक
    ईश्वर का समीकरण: कल्पना, विश्वास और आत्म-संतोष की त्रिज्या में फंसा मनुष्य - ईश्वर- यह शब्द जितना सरल प्रतीत होता है, उतना ही गूढ़ और बहुआयामी भी है। यदि हम मान लें कि ईश्वर हमारी कल्पना है, तो हमारी पूजा वस्तुतः केवल हमारी आत्म-संत...
  • अपनी माटी डॉट कॉम(www.ApniMaati.com)
    शोध : हिंदी नाटकों में मेवाड़ की ऐतिहासिक भूमिका / विकास कुमार अग्रवाल - *हिंदी नाटकों में मेवाड़ की ऐतिहासिक भूमिका* *विकास कुमार अग्रवाल* *शोध**-सार** :* भारतीय नाट्य परंपरा की जड़ें संस्कृत साहित्य और भरतमुनि के *नाट्य* ...
  • Mehnatkash
    जब बेइंतहाँ शोषण से तंग अपने “मुलुक” के लिए निकले चाय बागान श्रमिकों का हुआ था भयावह दमन - 1921 में जलियांवाला बाग जैसा बड़ा नरसंहार। अन्याय से पीड़ित पैदल ही अपने पैतृक गाँव जा रहे हजारों बागान श्रमिकों को ब्रिटिश सैनिकों ने गोलियों से भुना, मेघ...
  • विकल्प
    ट्यूनीशियाई कवि अब्दुल कासिम अल-शाबी की दो कविताएँ - दुनियाभर के तानाशाहों के नाम जालिम तानाशाह, अँधेरे के आशिक, जिन्दगी के दुश्मन तुमने कमजोर लोगों के डील-डौल का मजाक उड़ाया उनके खून से लतपथ है तुम्हारी हथेली...
  • पर्यावरण लोक मंच
    ग्रेटा ने दुनिया भर के हुक्मरानों को चेतावनी दी, माफ नहीं करेगी युवा पीढ़ी - (प्रस्तुति : अनिल अश्विनी शर्मा , साभार डाउन टू अर्थ, 24 सितम्बर 2019) 16 साल की ग्रेटा थुनबर्ग ने दुनिया भर के नेताओं से पूछा, आपने जलवायु परिवर्तन को रो...
  • Paryavaran Lok Manch
    Environmental Crisis due to Nuclear Power Plants - *Abstract* This paper discusses the role of nuclear power plants in the area of the total energy produced by this. It tells us about the hazardousness at ...
  • प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry)
    सुबह - *सुना है रात के परदे में सुबह सोती है* *सवेरा उठ के दबे पाँव आएगा हम तक* *हमारे पाँव पे रखेगा भीगे, भीगे फूल* *कहेगा उठो के अब तीरगी का दौर गया* *बहुत से का...
  • देश-विदेश
    विश्वव्यापी आर्थिक संकट का कोढ़ भारत में फूटने के कगार पर - –– विक्रम प्रताप *बाढ़ की सम्भावनाएँ सामने हैं,* *और नदियों के किनारे घर बने हैं।* *चीड़–वन में आँधियों की बात मत कर,* *इन दरख्तों के बहुत नाजुक तने हैं।* * ...

कुल पेज व्यू

ब्लॉग सर्च

सोशल मीडिया पर

  • फेसबुक
  • यूट्यूब

पेज

  • गीत सरगम
  • उद्देश्य
  • साहित्यकार
  • फिल्म समीक्षा
  • नाटककार
  • दस्तावेज़
  • कविता पाठ
  • संपर्क करें
  • नुक्कड़ नाटक

ब्लॉग आर्काइव

  • ▼  2024 (6)
    • ▼  August (4)
      • औरतें उठी नहीं तो,
      • सृष्टि बीज का नाश न हो, हर मौसम की तैयारी है
      • यह कौन नहीं चाहेगा उसको मिले प्यार
      • दरिया की कसम मौजों की कसम
    • ►  May (2)
  • ►  2023 (1)
    • ►  September (1)
  • ►  2022 (3)
    • ►  March (1)
    • ►  January (2)
  • ►  2021 (18)
    • ►  September (1)
    • ►  July (6)
    • ►  March (5)
    • ►  February (5)
    • ►  January (1)
  • ►  2020 (124)
    • ►  December (16)
    • ►  November (19)
    • ►  July (2)
    • ►  June (4)
    • ►  May (39)
    • ►  April (22)
    • ►  March (22)

मेरे बारे में

My photo
Pravaah
View my complete profile
Powered by Blogger.