तू ज़िन्दा है



तू जिंदा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर
(सरगम )
तू जिंदा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर

प़ सा सा सा, प़ सा सा सा
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर. 
 ग म ग रे रे  ग रे सा रे सा ऩि सा सा 
तू जिंदा है ….
प़ सा सा सा, प़ सा सा सा

ये ग़म के और चार दिन, सितम के और चार दिन,
ग ग, ग ग, ग ग, ग ग, ग म ग रे सा म म,
ये दिन भी जायेंगे गुज़र, गुज़र गए हज़ार दिन.
म म, म म, म म, म म, म प म ग ग प प, म प म ग 

कभी तो होगी इस चमन पे भी बहार की नज़र,
प़ सा सा सा रे ग ग, प़ सा सा सा रे ग ग 

अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर. 
 ग म ग रे रे  ग रे सा रे सा ऩि सा सा 
तू जिंदा है... 

प़ सा सा सा, प़ सा सा सा

तू जिंदा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर
तू (G)जिंदा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर
अग(Am)र कहीं है (C)स्वर्ग तो (D)उतार ला(G)ज़मीन पर 
तू(G)जिंदा है ….
ये(G) ग़म के और चार दिन, (Am)सितम के और चार दिन,
ये (C) दिन भी जायेंगे गुज़र, (G)गुज़र गए हज़ार दिन.
क(G)भी तो होगी इस चमन पे भी बहार की नज़र,
अग(Am)र कहीं है (C)स्वर्ग तो (D)उतार ला (G)ज़मीन पर
 तू (G)जिंदा है…
तू जिंदा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर
तू जिंदा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर 
तू जिंदा है ….
ये ग़म के और चार दिन, सितम के और चार दिन,
ये दिन भी जायेंगे गुज़र, गुज़र गए हज़ार दिन.
कभी तो होगी इस चमन पे भी बहार की नज़र,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
 तू जिंदा है…
हमारे कारवां को मंजिलों का इंतज़ार है,
ये आँधियों, ये बिजलियों की पीठ पर सवार है.
तू आ कदम मिला के चल, चलेंगे एक साथ हम,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
 तू जिंदा है …
ज़मीं के पेट में पली अगन, पले हैं ज़लज़ले,
टिके न टिक सकेंगे भूख रोग के स्वराज ये,
मुसीबतों के सर कुचल चलेंगे एक साथ हम,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
तू जिंदा है..
बुरी है आग पेट की, बुरे हैं दिल के दाग ये,
न दब सकेंगे, एक दिन बनेंगे इन्कलाब ये,
गिरेंगे ज़ुल्म के महल, बनेंगे फिर नवीन घर,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
 तू जिंदा है…

                  - शंकर शैलेन्द्र 

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