काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे-नुसरत


काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे -नुसरत 

शेर-
हुस्न वाले वफ़ा नहीं करते 
इश्क़ वाले दागा नहीं करते 
ज़ुल्म करना तो इनकी आदत है 
ये किसी का भला नहीं करते 

शेर-
जो नज़र आर पार हो जाये 
वो ही दिल का करार हो जाए 
अपनीं ज़ुल्फ़ों का डालदो साया 
तीरगी ख़ुशगवार हो जाए 
तेरी नज़रों  को देख पाए अगर 
शेख भी  मयगुसार हो  जाए 
तुझको देखे जो इक नज़र फ़ौरन 
चाँद भी शर्मसार हो जाये 
आइना अपने सामने से हटा 
ये न हो खुद से प्यार हो जाए 

शेर-
भूल हो जाती है यूँ तैश में आया न करो 
फासले ख़त्म करो बात बढाया न करो 
ये निगाहें ये इशारे ये अदाएं तौबा 
इन शराबों को सरे आम लुटाया न करो 
शाम गहरी हो तो कुछ और हसीन होती है 
साया-ए-ज़ुल्फ़ को चेहरे से हटाया न करो 


काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे न डालो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्नवालों 

शेर-
आप इस तरह तो होश उड़ाया न कीजिये 
यूँ बन सवरकर सामने आया न कीजिये 

काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे न डालो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्नवालों 

न छेढों हमें हम सताये हुए हैं 
बहुत ज़ख्म सीने पे खाये हुए हैं 
सितमगर हो तुम खूब पहचानते हैं 
तुम्हारी अदाओं को हम जानते हैं 
दगाबाज़ हो तुम सितम ढाने वाले 
फरेब-ए मोहब्बत में उलझाने वाले 
ये रंगीन कहानी तुम्ही को मुबारक 
तुम्हारी जवानी तुम्ही को मुबारक
हमारी  तरफ से निगाहें हटा लो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्नवालों 

काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे न डालो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्नवालों 

मस्त आँखों की बात चलती है 
मयकशी करवटें बदलती है 
बनसवरकर वो जब निकलते हैं 
दिलकशी साथ साथ चलती है 
हार जाते हैं जीतने वाले 
वो नज़र ऐसी चाल चलती है 
जब हटाते है रुख से ज़ुल्फ़ों को 
चाँद हस्ता है रात ढलती है 
वादाकश जाम तोड़ देते हैं 
जब नज़र से शराब ढलती है 
क्या क़यामत है उनकी  अँगड़ायी 
खिच के दोया कमान चलती है 
यूँ हसीनों की ज़ुल्फ़ लहराये 
जैसे नागिन कोई मचलती है 

काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे न डालो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्नवालों 

शेर-
ज़ंजीर में ज़ुल्फ़ों की फस जाने को क्या कहिये 
दीवाना मेरा दिल है दीवाने को क्या कहिये 

काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे न डालो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्नवालों 


सम्भालो ज़रा अपना आँचल गुलाबी
दिखाओ न हंस-हंस के आँखें शराबी 
सुलूक इनका दुनिया में अच्छा नहीं है 
हसीनों पे हमको भरोसा नहीं है 
उठाते हैं नज़रें तो गिरती है बिजली 
अदा जो भी निकली क़यामत ही निकली 
जहां तुमने चेहरे से आँचल उठाया 
वहीँ अहल-ए-दिल को तमाशा बनाया  
खुदा के लिए हम पे डोरे न डालो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्नवालों 

काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे न डालो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्नवालों 

शेर-
आवारा हुई जाती है ज़ुल्फ़ों को संभालो  
दिल मेरा उलझ जाएगा ये जाल न डालो 


सदा वार करते हो  तेग़-ए-जफ़ा का 
बहाते हो तुम खून अहल-ए-वफ़ा का 
ये नागिन सी जुल्फें, ये जहरीली नज़रें 
वो पानी न माँगा ये जिस को भी डसले 
वो लूट जाए जो तुमसे दिल को लगाए 
फिरें हसरतों का जनाजा उठाये 
है मालूम हमको तुम्हारी हकीकत 
मुहब्बत के परदे में करते हो नफरत 
कहीं और जा के अदाएं उछालो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्न वालों 

काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे न डालो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्नवालों 

शेर-
अपनी इस जुल्फ-ए-परेशान को सम्भालो वरना 
ऐसे गुस्ताख़ को हम चूम लिया करते हैं 


ये झूठी नुमाइश, ये झूठी बनावट 
फरेब-ए-नज़र है नज़र की लगावट  
ये सुम्बुल से केसू ये आरिज़ गुलाबी 
ज़माने में लायेंगें इक दिन खराबी 
फना हमको कर देना ये मुस्कुराना 
अदा क़ाफ़िराना चलन ज़ालिमाना 
दिखाओ न ये इश्क़-ए-नाज़ हमको 
सिखाओ न उल्फत के अंदाज़ हमको 
किसी और पर जुल्फ का जाल डालो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्न वालों 

काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे न डालो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्नवालों 

अपनी ज़ुल्फ़ों का पर्दा बना लीजिये 
हुस्न-ए-मासूम अब फ़ित्ना-गर हो गया 
बर्क गिर जाएगी ,तूर जल जाएगा 
रुख तुम्हारी नज़र का जिधर हो गया 

काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे न डालो 
हमें ज़िंदा रहने दो ऐ हुस्नवालों 

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