प्रवाह कल्चरल टीम पर्चा
“क्या अंधेरें दौर में भी गीत गाए जाएंगे?
“क्या अंधेरें दौर में भी गीत गाए जाएंगे?
हाँ अंधेरें दौर के भी गीत गाए जाएंगे।”
सही कहना है महान जर्मन नाटककार ब्रेख्त का। यकीनन आज “गीत गाए” जाने कि कहीं अधिक जरूरत है- अतीत के संघर्षों के गीत, वर्तमान की जद्दोजहद के गीत और भविष्य की उम्मीदों के गीत भी। इसी उद्देश्य से छात्रों-नौजवानों और मेहनत करने जनता की क्रांतिकारी भावनाओं, सपनों और आशाओं का इजहार करने वाले गीत, कविता और नाटक का संग्रह इस ब्लॉक के माध्यम से आपके बीच प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
No comments:
New comments are not allowed.