उद्धरण -
‘‘मुझे देश की आजादी और भाषा की आजादी में से किसी एक को चुनना पड़े, तो मैं निःसंकोच भाषा की आजादी को पहले चुनूँगा, क्यूंकि मैं फायदे में रहूँगा। देश की आजादी के बावजूद भाषा की गुलामी रह सकती है, लेकिन अगर भाषा आजाद हुई तो देश गुलाम नहीं रह सकता।’’
-गणेश शंकर विद्यार्थी
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