गरदिशों के है मारे हुए ना

 गरदिशों के है मारे हुए ना

दुश्मनों के सताए हुए है

जितने भी जख्म है मेरे दिल पर

दोस्तों के लगाए हुए है


इश्क को रोग मार देते है 

अक्ल को सोग मार देते है

आदमी खुद-ब-खुद नहीं मरता

दुसरे लोग मर देते है


जितने भी जख्म है मेरे दिल पर

दोस्तों के लगाए हुए है


लोग काँटों से बचके चलते है

हमने फूलों से जख्म खाए है

तुम तो गैरों की बात करते हो

हमने अपने भी आजमाए है


जितने भी जख्म है मेरे दिल पर

दोस्तों के लगाए हुए है


कासा-ए-दीद लेके दुनिया में

मैंने दीदार की गदाई की

मेरे जितने भी यार थे सबने

हस्बे तौफिक बेवफाई की


जितने भी जख्म है मेरे दिल पर

दोस्तों के लगाए हुए है


जबसे देखा तेरा कद्दो कामत

दिल पे टूटी हुई है क़यामत

हर बला से रहे तू सलामत

दिन जवानी के आए हुए है


और दे मुझको दे और साकी

होश रहता है थोडा सा बाकी

आज तल्खी भी है इन्तिहा की

आज वो भी पराए हुए है


कल थे आबाद पहलू मे मेरे 

अब है गैरों की महफ़िल में डेरे

मेरी महफ़िल में करके अँधेरे

अपनी महफ़िल सजाए हुए है


अपने हाथो से खंजर चला कर

कितना मासूम चेहरा बना कर

अपने कांधों पे अब मेरे कातिल

मेरी मैय्यत उठाए हुए है


महवासों को वफ़ा से क्या मतलब

इन बुतों को खुदा से क्या मतलब

इनकी मासूम नज़रों ने नासिर 

लोग पागल बनाए हुए है


गरदिशों के है मारे हुए ना

दुश्मनों के सताए हुए है

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