साँसों की माला पे
आ पिया इन नैनन में
जो पल्क डाप तोहे दू
ना मैं देखूँ गैर को
ना मैं तोहे देखन दू
काजर डारु किरकरा
सुरमा दिया ना जाए
जिन नैनन में पिया बसे
भला दूजा कोन समाए
नील गगन से भी परे
सैयां जी का गाँव
दर्शन जल की कामना
पत रखियों है राम
अब किस्मत के हाथ है
इस बंदन की लाज
मेने तो मन लिख दिया
सावरिया के नाम
जाने कोन से भेष में
सावरिया मिल जाए
झुक झुक कर संसार में
सबको करू सलाम
वो चातर है कामनी
वो है सुन्दर नार
जिस पगली ने कर लिया
साजन का मन राम
जबसे राधा श्याम के
नैन हुए है चार
श्याम बने है राधिका
राधा बन गई श्याम
साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम
साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम
अपने मन की मैं जानू और पी के मन की राम
साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम
यही मेरी बंदगी है,
यही मेरी पूजा
साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम
एक का साजिद मंदिर में
और एक का प्रीतम मस्जिद में
पर मैं ,
साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम
हम और नहीं कछु काम के
मतवारे पी के नाम के है
साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम
सजनी पाती तब लिखू
जो प्रीतम हो परदेश
तन में, मन में पिया बसे
अब भेजू किसे संदेस
साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम
हर हर में है हर बसे
इसमें, उसमे, तुझमे, मुझमे
हर हर में है हर बसे
हर हर को हर की आस
हर को हर हर ढूढ़ फिरी
हर हर है मोरे पास
साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम
प्रेम के रंग में ऐसी डूबी बन गया एक ही रूप
प्रेम की माला जपते जपते
आप बनी मैं श्याम
साँसों की माला पे सिमरु में पी का नाम
प्रीतम का कुछ दोष नहीं है
वो तो है निर्दोष
अपने आप से बाते करके
हो गई मैं बदनाम
साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम
प्रेम पियाला जबसे पीया है
जी का है ये हाल
अंगारों पे नींद आये
काँटों पे आराम
साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम
जीवन का श्रुंगार है प्रीतम
मांग का है सिंदूर
प्रीतम की नजरो से गिरकर
है जीना किस काम
साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम
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