छाप तिलक सब छीनी रे
आ पिया इन नैनन में पलक ढाँप तोहे लूँ
न में देखूँ गैर को, न तोहे देखन दूँ
काजर डारूँ किरकिरा जो सुरमा दिया न जाए
जिन नैनन में पी बसें तो दूजा कौन समाये
खुसरो रैन सुहाग की जो मैं जागी पी के संग
तन मोरा मन पिया का जो दोनो एक ही रंग
खुसरो दरिया प्रेम का जो उल्टी वा की धार
जो उभरा सो डूब गया जो डूबा सो पार
अपनी छब बनाइके जो मैं पी के पास गयी
छब देखी जब पिया की मोहे अपनी भूल गयी
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाई के
बात अघम कह दीनी रे मोसे नैना मिलाई के
बल बल जाऊँ मैं तोरे रंग रजवा
ऐसी रंग रंग दे, रंग नाही छूटे, धोबिया धोए चाहे सारी उमरिया
बल बल जाऊँ मैं तोरे रंग रजवा
अपनी सी रंग दीनी रे मोसे नैना मिलाई के
प्रेम भटी का मधवा पिलाई के
मतवारी कर दीनी रे मोसे नैना मिलाई के
गोरी गोरी बइयाँ हरी हरी चूड़ियां
बहियाँ पकड़ हर लीनी रे मोसे नैना मिलाई के
खुसरो निज़ाम के बल बल जाइयाँ
मोहे सुहागन कीनी रे मोसे नैना मिलाई के
बहुत कठिन है डगर पनघट की
कैसे भर लाऊँ मैं जमुना से मटकी
ख़्वाजा निज़ामुद्दीन ख़्वाजा निज़ामुद्दीन
लाज राखो मोरे घूंघट पट की
खुसरो निज़ाम के बल बल जाइयाँ
मोहे सुहागन कीनी रे मोसे नैना मिलाई के
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