सुन चरख़े दी मिठ्ठी मिठ्ठी

सुन चरख़े दी मिठ्ठी मिठ्ठी कूक

माहिया मैनू याद आवंदा

मेरे दिल विचहो उठती ऐ हूँक

माहिया मैनू याद आवंदा


मेरी ईद वाला चन कदों चढ़ेगा

अल्लाह जाने माही कदों वेडे वड़ेगा

दुख ढाडे ने ते ए ज़िन्दहि मलूक


माही आवेगा ते ए खुशियाँ मनवांगी ए

उदेहे राहाँ विच अखियाँ विछावंगी ए

जाँन छडीये है विछोरोएँ ने फूंक ए


ताने मारदे ने अपने शरिक वे

लिख चिट्ठी विच औन दी तरिक वे

काली रात वाली डंगे मैनु शूक


कता पूरियाँ ते हंजु मेरे वघदे

हुन हासे वि नही मैनू चंगे लगदे

किवेएँ भुल जवां उदे मैं सलूक


सुन चरख़े दी मिठ्ठी मिठ्ठी कूक

माहिया मैनू याद आवंदा

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