दरिया की कसम मौजों की कसम

 

दरिया की कसम मौजों की कसम

यह ताना बाना बदलेगा

तू खुद को बदल तू खुद को बदल

तब ही तो जमाना बदलेगा...

 

तू चुप रहकर जो सहती रही, तो

क्या यह जमाना बदलेगा ....

तू बोलेगी मुंह खोलेगी

तब ही तो जमाना बदलेगा

 

दरिया की कसम ...

 

दस्तूर पुराने सदियों के

वे आये कहाँ से क्यों आये...

कुछ तो सोचो

कुछ तो समझो

यह क्यों तुमने अपनाएं हैं

 

दरिया की कसम ...

 

यह पर्दा तुम्हारा कैसा है

क्या यह मजहब का हिस्सा है .....

कैसा मजहब किसका पर्दा

यह सब मर्दों का हिस्सा है

 

दरिया की कसम .....

 

आवाज़ उठा कदमो को मिला

रफ़्तार जरा कुछ और बढ़ा

उत्तर से उठो दक्षिण से उठो

पूरब से उठो पश्चिम से उठो

फिर सारा ज़माना बदलेगा

 

दरिया की कसम ....

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