सृष्टि बीज का नाश न हो, हर मौसम की तैयारी है

 

 

सृष्टि बीज का नाश न हो, हर मौसम की तैयारी है

कल का गीत लिए होठों पर, आज लड़ाई जारी है

आज लड़ाई जारी है

हर आँगन का बूढा सूरज परचम–परचम दहक उठा

काल सिंधु का ज्वार परिश्रम के फूलों में महक उठा

ध्वंस और निर्माण जवानी की निश्चल किलकारी है

कल का गीत लिए होंठों पर, आज लड़ाई जारी है

आज लड़ाई जारी है

धरती की निर्मल इच्छा का ताप गुलमुहर उधर खिला

परिवर्तन  की अंगडाई का स्वप्न फसल को इधर मिला

नील गगन पर मृत्युहीन नवजीवन की गुलकारी है

कल का गीत होंठों पर, आज लड़ाई जारी है

आज लड़ाई जारी है

जंजीरों से छुब्ध युगों के प्रणय गीत सी रणभेरी

मुक्ति प्रिया की पगध्वनि लेकर घर–घर लगा रही फेरी

हर नारे में महाकाव्य के सृजनकर्म की बारी है

कल का गीत लिए होठों पर, आज लड़ाई जारी है

आज लड़ाई जारी है

-महेश्वर

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