बगिया लहूलुहान

हरियाली को आँखे तरसें बगिया लहूलुहान

प्यार के गीत सुनाऊँ किसको शहर हुए वीरान

बगिया लहूलुहान ।

 

डसती हैं सूरज की किरनें चाँद जलाए जान

पग-पग मौत के गहरे साए जीवन मौत समान

चारों ओर हवा फिरती है लेकर तीर-कमान

बगिया लहूलुहान ।

 

छलनी हैं कलियों के सीने खून में लतपत पात

और न जाने कब तक होगी अश्कों की बरसात

दुनियावालों कब बीतेंगे दुख के ये दिन-रात

ख़ून से होली खेल रहे हैं धरती के बलवान

बगिया लहू लुहान ।

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