बरसात के मौसम में
तन्हाई के आलम में
मैं घर से निकल आया
बोतल भी उठा लाया
अभी ज़िंदा हूँ तो जी लेने दो
भरी बरसात में पी लेने दो
मुझे टुकड़ों में नहीं जीना है
क़तरा क़तरा तो नहीं पीना है
हो आज पैमाने हटा दो यारों
हाँ सारा मयख़ाना पिला दो यारों
मयकदों में तो पीया करता हूँ
चलती राहों में भी पी लेने दो
अभी ज़िंदा हूँ तो जी लेने दो
भरी बरसात में पी लेने दो
मेरे दुश्मन हैं ज़माने के गम
बाद पिने के ये होंगे कम
ज़ुल्म दुनिया के न सह पायूँगा
बिन पिये आज न रह पायूँगा
मुझे हालात से टकराना है
मुझे हालात से टकराना है
ऐसे हालात में पी लेने दो
अभी ज़िंदा हूँ तो जी लेने दो
भरी बरसात में पी लेने दो
आज की शाम बड़ी बोझल है
आज की रात बड़ी कातिल है
हो आज की शाम ढलेगी कैसे
हां आज की रात कटेगी कैसे
आग से आग बुझेगी दिल की
आग से आग बुझेगी दिल की
मुझे ये आज भी पीलेने दो
अभी ज़िंदा हूँ तो जी लेने दो
भरी बरसात में पी लेने दो
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