अब तो हमरी बारी रे
(सरगम )
भइया देख ली है बहुत तेरी सरदारी रे
स स स रे रे म म म ग ग रे, ऩि सा म रे
अब तो हमरी बारी रे! ना...
ऩि ऩि सा, सा म ग रे सा सा
महंगाई की महामारी ने हमरा भट्ठा बिठा दिया
ऩि ऩि ध़ ऩि सा सा ,रे म ग रे सा सा
चले हटाने गरीबी, गरीबों को हटा दिया
ऩि ऩि ध़ ऩि सा सा ,रे म ग रे सा सा
सरबत की तरह देश को
प प प ध म ग रे
सरबत की तरह देश को गटका है, गटागट
प प प ध म ग रे ,रे म ग रे रे रे
आम आदमी की जेब हो गई है सफाचट
सा रे ऩि ऩि ऩि सा रे,रे सा ग ग रे सा सा
लूट का भांडा फोड़े आज, मेहनत का लायें हम राज
ऩि ऩि ऩि, ऩि सा रे ,ग ग रे सा सा
मेहनतकश का नया समाज, जनता का है सच्चा राज
ऩि ऩि ऩि, ऩि सा रे ,ग ग रे सा सा
के भइया सहन करी रे बहुत तेरी गुलामी रे
स स स रे रे म म म ग ग रे, ऩि सा म रे
अब तो हमरी बारी रे ना...
ऩि ऩि सा, सा म ग रे सा सा
.....
अब तो हमरी बारी रे (CHORDS)
(G)....भइया दे(C)ख ली है बहुत तेरी सर(F)दारी रे
अब तो हमरी(G)बारी रे! ना...
G)....भइया दे(C)ख ली है बहुत तेरी सर(F)दारी रे
अब तो हमरी(G)बारी रे! ना...
(F)महंगाई की (G)महामारी ने हमरा (C)भट्ठा बिठा दि(G)या
(F)चले हटाने (G)गरीबी, गरी(C)बों को हटा दि(G)या
(G)सरबत की तरह देश को
(G)सरबत की तरह देश को
गट(F)का है, गटागट
आम (D)आदमी की जेब हो ग(G)ई है सफाचट
भइया...
( SAME PATTERN FOR 2 PARA'S)
लू(D)ट का भांडा फोड़े आज,(G) मेहनत का लायें हम राज
मे(D)हनतकश का नया समाज, (G)जनता का है सच्चा राज
(G)....के भइया स(C)हन करी रे बहुत तेरी गु(F)लामी रे
अब तो हमरी (G)बारी रे ना...
भइया..।
अब तो हमरी बारी रे
भइया देख ली है बहुत तेरी सरदारी रे
अब तो हमरी बारी रे! ना...
महंगाई की महामारी ने हमरा भट्ठा बिठा दिया
चले हटाने गरीबी, गरीबों को हटा दिया
सरबत की तरह देश को गटका है, गटागट
आम आदमी की जेब हो गई है सफाचट
भइया...
हो बिरला हो या टाटा, अंबानी हो या बाटा
सबने अपने चक्कर में देश को है काटा
हमरे ही खून से इनका इंजन चले धकाधक
आम आदमी की जेब हो गई है सफाचट
भइया...
अब तो नहीं चलेगी तेरी ये रंगदारी रे
अब तो हमरी बारी रे नाकृ
लूट का है धंधा, कानून भी है अंधा
नेता इनका कातिल और खूनी इनकी सत्ता
सेना, पुलिस के दम पर सिस्टम चले चकाचक
आम आदमी की जेब हो रही है सफाचट
भइया...
सत्तर साल से देखें है तेरी बेमानी रे
अब तो हमरी बारी रे ना...
लूट का भांडा फोड़े आज, मेहनत का लायें हम राज
मेहनतकश का नया समाज, जनता का है सच्चा राज
के भइया सहन करी रे बहुत तेरी गुलामी रे
अब तो हमरी बारी रे ना...
भइया..।
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