दिलो में घाव :सरगम
चले चलो
प़ सा सा सा
चले चलो दिलो में घाव ले के भी चल चलो
प़ सा सा सा रे ग ग, प़ सा सा सा रे ग ग,
चलो लहूलुहान पांव ले के भी चले चलो
ग म ग रे, रे ग रे सा, सा रे सा ऩि, सा सा
चले चलो
प़ सा सा सा रे ग म प म ग
चलो की आज साथ-साथ चलने की जरूरतें
ग ग प प ध ध प प, ध प ग सा सा रे ग
चलो की खत्म हो न जाएं जिंदगी की हसरतें
ग ग प प ध ध प प, ध प ग सा सा रे ग
जिंदगी की हसरतें
म ग रे रे, ग रे सा सा
जिंदगी की हसरतें
रे सा ऩि ऩि, सा सा
जमीन, ख्वाब जिंदगी, यकीन सबको बांटकर
ग ग, ग ग, ग ग, ग ग, ग म ग रे सा म म
वो चाहते हैं बेबसी में आदमी झुकाये सर
म म, म म, म म, म म, म प म ग प प
वो चाहते हैं जिंदगी हो रौशनी से बेखबर
ग ध ध ध प प म म, म म प ध प ग ग
वो एक-एक करके अब जला रहे हैं हर शहर
ग ध ध ध प प म म, म म प ध प ग ग
जला रहे हैं हर शहर
म प म ग सा सा रे ग
जला रहे हैं हर शहर
ग म ग रे सा रे सा सा
जले हुए घरों के ख्वाब ले के चलो
प़ सा सा सा रे ग ग, प़ सा सा सा रे ग ग,
चलो लहूलुहान पांव ले के भी चले चलो
ग म ग रे, रे ग रे सा, सा रे सा ऩि, सा सा
चले चलो
प़ सा सा सा रे ग म प म ग
दिलो में घाव ले के भी चल चलो :बोल
चले चलो दिलो में घाव ले के भी चल चलो
चलो लहूलुहान पांव ले के भी चले चलो
चलो की आज साथ-साथ चलने की जरूरतें
चलो की खत्म हो न जाएं जिंदगी की हसरतें
जमीन, ख्वाब जिंदगी, यकीन सबको बांटकर
वो चाहते हैं बेबसी में आदमी झुकाये सर
वो चाहते हैं जिंदगी हो रौशनी से बेखबर
वो एक-एक करके अब जला रहे हैं हर शहर
जले हुए घरों के ख्वाब ले के चलो
चले चलो ...
वो चाहते हैं बांटना दिलों के सारे वलवले
वो चाहते हैं बांटना ये जिंदगी के काफिले
वो चाहते हैं खत्म हो उम्मीद के ये सिलसिले
वो चाहते हैं गिर सके न लूट के ये सब किले
सवाल ही है अब जवाब ले के भी चले चलो
चले चलो ...
वो चाहते हैं जातियों की बोलियों की फूट हो
वो चाहते हैं धर्म को तबाहियों की छूट हो
वो चाहते हैं जिंदगी ये हो फरेब, झूठ हो
वो चाहते हैं जिस तरह भी हो मगर ये लूट हो
सिरों पे जो बची है छांव ले के भी चले चलो
चले चलो दिलों में घाव ले के भी चले चलो
-ब्रजमोहन
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