दोस्तों की शिकायत करूं मैं

 दोस्तों की शिकायत करूं मैं 

 ये भी मुझको गंवारा नहीं है


शेर -

तीरगी के घने हिजाबों में नूर के चाँद झिलमिलाते हैं

जिंदगी की उदास राहों में बेवफा दोस्त याद आते हैं 

 दोस्तों की शिकायत करूं मैं 



 ये भी मुझको गंवारा नहीं है
 दोस्तों ने करम वो किये हैं 
 जिंदगी की तमन्ना नहीं है

सोच कर बेवफा मुझको कहिये 



खुल न जाए भरम आपका ही
आजमाया है दुनिया को मैंने 
आपने मुझको परखा नहीं है

हो के बेताब मैय्यत पे मेरी 



तुम ये क्यूँ बेनकाब आ गए हो
उम्र भर जिससे पर्दा किया था 
आज क्यूँ उससे पर्दा नहीं है

आप होंगे वफाओं के माईल 



एक दिन ये हकीकत है लेकिन
आपका तो भरोसा है मुझको 
जिंदगी का भरोसा नहीं है


जिद न कर आज दो घूँट पी ले 



शेर- 

ज़हिदां तू शराब पी ले , न कर तू कुछ इजतिराब पी ले

मैं तेरी मानूं नमाज पढ़ लूं, तू मेरी माने शराब पी ले
 


जिद न कर आज दो घूँट पी ले 
जिंदगी चार दिन की है जी ले
मोहतसिब अपनी किस्मत बना ले 
मयकदा है ये काबा नहीं है

हुस्न-ए-जाना अरे तौबा तौबा 



जब निगाहें  उठीं झुक गयीं हैं 
बारहां उनकों देखा है मैंने 

फिर भी जी भर के देखा नहीं है 


 


मयक़दा बन गईं मस्त आँखें

 मयक़दा बन गईं मस्त आँखें 

ज़ुल्फ़ काली घटा हो गई है 

क्या हो मय का नशा ज़िन्दगी में 

ज़िन्दगी खुद नशा हो गई है 


हर तबस्सुम ख़फ़ा हो गया है 

हर मुसर्रत जुदा हो गई है 

ऐ ग़म-ए -इश्क़ तेरी बदौलत 

ज़िन्दगी क्या से क्या हो गई है 


मैं  असीर-ए-ग़म-ए-हिज्र ठेहरा 

और इससे भी ज़्यादा कहूं क्या 

मुझको ज़ुर्म-ए-महौब्बत में यारों 

उम्र भर की सजा हो गई है 


पहले तो देखना मुस्कुराना 

फिर नज़र फेरना रूठ जाना 

हो गया खून कितनों का नाहक़ 

आप की तो अदा हो गई है 

 

दे इज्जाजत तेरे नक्श-ए-पा को 

चूम कर खुद पशेमान हूँ मैं 

होश में इतनी जुर्रत ना होती 

बेखुदी में खता हो गयी है 


कौन है दोस्त है कौन दुश्मन  

अक्स पेश-ए-नज़र है सभी का 

जब से हसरत चढ़ा दिल का  पारा  

ज़िन्दगी आइना हो गयी है 


बात तेरी भी रखनी है साकी 

ज़र्फ़ को भी न रुस्वा करेंगे 

जाम दे या ना दे आज हम को 

मयकदे में सवेरा करेंगे 


इस तरफ अपना दामन जलेगा 

उस तरफ उनकी महफ़िल चलेगी 

हम अंधेरे को घर में बुलाकर 

उनके घर में उजाला करेंगे 


हमको झूठी तस्सल्ली न दीजिये 

ग़म में अब और इज्जाफा न कीजिये 

जिस से आँखों में आजायें आँसूं 

वो ख़ुशी लेके हम क्या करेंगे 





मेरा पिया घर आया ओ लाल नी

 आवो नी सय्यो रल दियो नी वधाई

मन वर पाया सोणा माही

घडिया देवो निकालनी 

मेरा पिया घर आया


मेरा पिया घर आया ओ लाल नी


ऐ पिया घर आया सानु अल्लाह मिलाया

हूं होया फजल कमालनी


मेरा पिया घर आया ओ लाल नी



घडी घडी घड़ियाल बजावे

रेन वस्ल दी पिया घटावे

मेरे मन दी बात ना पावे

हाथो जा सुत्तो घड़ियाल नी


अनहद बाजा बजे शहाना

मुतरब सुगरा तान तराना

भूल गया ऐ नमाज़ दोगाना

मद प्याले देन कलाल नी


मेरा पिया घर आया ओ लाल नी


बुल्ले शाह दी सेज प्यारी

नी में तारन हारन तारी

अल्लाह मिलाया हूं आरी वार

हूं विछडन होया मुहाल नी


मेरा पिया घर आया ओ लाल नी

मेरा पिया घर आया ओ लाल नी

मेरा पिया घर आया ओ लाल नी

गरदिशों के है मारे हुए ना

 गरदिशों के है मारे हुए ना

दुश्मनों के सताए हुए है

जितने भी जख्म है मेरे दिल पर

दोस्तों के लगाए हुए है


इश्क को रोग मार देते है 

अक्ल को सोग मार देते है

आदमी खुद-ब-खुद नहीं मरता

दुसरे लोग मर देते है


जितने भी जख्म है मेरे दिल पर

दोस्तों के लगाए हुए है


लोग काँटों से बचके चलते है

हमने फूलों से जख्म खाए है

तुम तो गैरों की बात करते हो

हमने अपने भी आजमाए है


जितने भी जख्म है मेरे दिल पर

दोस्तों के लगाए हुए है


कासा-ए-दीद लेके दुनिया में

मैंने दीदार की गदाई की

मेरे जितने भी यार थे सबने

हस्बे तौफिक बेवफाई की


जितने भी जख्म है मेरे दिल पर

दोस्तों के लगाए हुए है


जबसे देखा तेरा कद्दो कामत

दिल पे टूटी हुई है क़यामत

हर बला से रहे तू सलामत

दिन जवानी के आए हुए है


और दे मुझको दे और साकी

होश रहता है थोडा सा बाकी

आज तल्खी भी है इन्तिहा की

आज वो भी पराए हुए है


कल थे आबाद पहलू मे मेरे 

अब है गैरों की महफ़िल में डेरे

मेरी महफ़िल में करके अँधेरे

अपनी महफ़िल सजाए हुए है


अपने हाथो से खंजर चला कर

कितना मासूम चेहरा बना कर

अपने कांधों पे अब मेरे कातिल

मेरी मैय्यत उठाए हुए है


महवासों को वफ़ा से क्या मतलब

इन बुतों को खुदा से क्या मतलब

इनकी मासूम नज़रों ने नासिर 

लोग पागल बनाए हुए है


गरदिशों के है मारे हुए ना

दुश्मनों के सताए हुए है

तुम अगर यूँ ही नज़रे मिलते रहे

 तुम अगर यूँ ही नज़रे मिलाते रहे

मयकशी मेरे घर से कहाँ जाएँगी

और ये सिलसिला मुस्तकिल हो तो फिर

बेखुदी मेरे घर से कहाँ जाएगी


इक ज़माने के बाद आई है शाम-ए-गम

शाम-ए-गम मेंरे घर से कहाँ जाएँगी

मेरी किस्मत में है जो तम्हारी कमी

वो कमी मेरे घर से कहाँ जाएगी


शम्मा की अब मुझे कुछ जरूरत नहीं

नाम को भी शब-ए-गम में ज़ुल्मत नहीं

मेरा हर दाग-ए-दिल कम नहीं चाँद से

चांदनी मेरे घर से कहाँ जाएगी


तूने जो गम दिए वो ख़ुशी से लिए

तुझको देखा नहीं फिर भी सजदे किए

इतना मजबूत जब अकीदा मेरा

बंदगी मेरे घर से कहाँ जाएगी


जर्फ़ वाला कोई सामने आए तो

में भी देखू ज़रा किसको अपनाए वो

मेरी हमराज ये इसका हमराज में

बेकसी मेरे घर से कहाँ जाएगी


जो कोई भी तेरी राह में मर गया

अपनी हस्ती को वो जाविदा कर गया

में शहीद-ए-वफ़ा हो गया हूं तो क्या

ज़िन्दगी मेरे घर से कहाँ जाएगी


तुम अगर यूँ ही नज़रे मिलते रहे

मयकशी मेरे घर से कहा जाएँगी

अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की

 अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की

तुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की


कौन सियाही घोल रहा है  वक़्त के बहते दरिया में

मैंने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की


वस्ल की रात न जाने क्यूँ इसरार था उनको जाने पर

वक़्त से पहले डूब गए तारों ने बड़ी दानाई की


उड़ते.उड़ते आस का पंछी दूर उफ़क़ में डूब गया

रोते-रोते बैठ गई आवाज़ किसी सौदाई की

दिल पे ज़ख्म खाते है

 दिल पे ज़ख्म खाते है 

जान से गुजरते है 

जुर्म सिर्फ इतना है 

उनको प्यार करते है


एतबार बढ़ता है और भी मोहब्बत का

जब वो अनजबी बन कर पास से गुजरते है


उनकी अंजुमन भी है तार भी रसन भी है

देखना है दीवाने अब कहाँ ठहरते है


उनके एक तगाफुल  से टूटते है दिल कितने

उनकी एक तवज्जो से कितने जख्म भरते है


जो पले है जुम्लत में क्या सहर को पहचाने

तीरगी के सैदाई रौशनी से डरते है


लाख वो गुरेज़ां हो लाख दुश्मन-ए-जान हो

दिल तो क्या करे साहिब हम उन्ही पे मरते है


दिल पे ज़ख्म खाते है 

जान से गुजरते है

आंख से आंख मिलाओ

मस्त आंखे जरा उठाओ तो

मयकदे को दुल्हन बनाओ तो

जो भी गुजरेगी हमपे गुजरेगी

तुम नज़र से नज़र मिलाओ तो


आंख से आंख मिलाओ

तो कोई  बात बने


हमसे जाना आंख से आंख मिलाओ


शेर-

मूह को छुपाना था तुम्हे पहले ही रोज़

अब किया पर्दा तो क्या पर्दा किया


हमसे जाना आंख से आंख मिलाओ


शेर- 

कब तक रहोगे मुह को छुपाए नकाब में

कब तक रहेगा चाँद सा चेहरा हिजाब में


हमसे जाना आंख से आंख मिलाओ


प्यार की वारदात होने दो

कुछ तो ऐसे हालात होने दो

लब से गर बात कर नहीं सकते

आँखों आँखों में बात होने दो


हमसे जाना आंख से आंख मिलाओ


आंख से आंख मिलाओ

तो कोई बात बने

रुख से जुल्फों को हटाओ

तो कोई बात बने


आंख से आंख मिलाओ

तो कोई बात बने


तीर छुप छुप के चलाने से भला क्या हासिल

बेझिझक सामने आओ तो कोई बात बने


बेझिझक सामने आओ तो कोई बात बने


सुरमा आँखों में लगाने से नहीं होता श्रींगार

मेहंदी हाथो में लगाओ तो कोई बात बने


मेहंदी हाथो में लगाओ तो कोई बात बने


जाम भर भर के तो हम रोज़ पिया करते है

आज नजरो से पिलाओ तो कोई बात बने


आज नजरो से पिलाओ तो कोई बात बने


ऐ फ़ना झूम के आने लगे काले बादल

बज्म-ए-मयखाना सजाओ तो कोई बात बने


बज्म-ए-मयखाना सजाओ तो कोई बात बने


आंख से आंख मिलाओ तो कोई बात बने


मैं नज़र से पी रहा हूँ

शेर- 

नज़र से नज़र अब मिलाई गई है

मैं पीता नहीं था पिलाई गई है


मैं नज़र से पी रहा हूँ 

ये समा बदल ना जाए


शेर- 

वो कोन है जो तेरे मयकदे से बच निकला

तेरी नज़र का तो आलम शिकार है साकी


में नज़र से पी रहा हूँ 

ये समा बदल ना जाए

ना झुकाओ तुम निगाहे

कही रात ढल ना जाए


मेरे अश्क भी है इसमें 

ये शराब उबल ना जाए

मेरा जाम छूने वाले

तेरा हाथ जल ना जाए


मेरी ज़िन्दगी के मालिक

मेरे दिल पे हाथ रख दे

तेरे आने की ख़ुशी में

मेरा दम निकल ना जाए


अभी रात कुछ है बाकि

ना उठा नकाब साकी

तेरा रिंद गिरते गिरते

कही फिर सम्भल ना जाए


मुझे फूकने से पहले

मेरा दिल निकाल लेना

ये किसी की है अमानत

मेरे साथ जल ना जाए


में नज़र से पी रहा हूँ 

ये समा बदल ना जाए

ना झुकाओ तुम निगाहे

कही रात ढल ना जाए


मस्त नजरो से अल्लाह अल्लाह बचाए

अच्छी सूरत को सवरने की जरूरत क्या है 

सादगी में भी क़यामत की अदा होती है 

तुम जो आ जाते हो मस्जिद में अदा करने नमाज़ 

तुम को मालूम है कितनों की कज़ा होती है 


शेर- 

तुलू-ए-सुबह तेरे रुख की बात होने लगी 

तुम्हारी ज़ुल्फ़ जो भिखरी तो रात होने लगी 

 तुम्हारी मस्त नज़र का खुमार क्या कहना 

नशे में ग़र्क़ सभी कायनात होने लगी 


शेर-

मय परस्ती मेरी इबादत है 

मैं कभी बे-वुजू नहीं पीता  

मैं शराबी सही मगर जाहिद 

आदमी का लहू नहीं पीता   


शेर- 

सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते 

हर दर पे जो झुक जाए उसे सर नहीं कहते 

क्या तुझको जहाँ वाले सितमगर नहीं कहते 

कहते तो हैं लेकिन  तेरे मुँह पर नहीं कहते 

काबे में हर इक सजदे को कह देते है इबादत 

मयखाने में हर जाम को सागर नहीं कहते 

काबे में मुसलमान को भी कह देते है काफिर 

मयखाने में काफ़िर को भी काफिर नहीं कहते 


शेर- 

उम्र जलवों में बसर हो ये ज़रूरी तो नहीं 

हर शब-ए-ग़म की सहर हो ये ज़रूरी तो नहीं 

नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है 

उनके आगोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं 

आग को खेल पतंगों ने समझ रखा है

सबको अंजाम का डर हो ये ज़रूरी तो नहीं

शेख करता है जो मस्जिद में खुदा को सजदे 

उसके सजदों में असर हो ये ज़रूरी तो नहीं  

सबकी साकी पे नजर हो ये ज़रूरी है मगर 

सबपे साकी की नज़र हो ये ज़रूरी तो नहीं  


शेर-

कोई दिल में लिए अरमान चला जाता है

कोई खोए हुए औसान चला जाता है

हुस्न वालो से ये कहदो के ना निकले बाहिर

देखने वालो का इमान चला जाता है


मस्त नजरो से अल्लाह अल्लाह बचाए 

महजमालो से अल्लाह बचाए

हर बाला सर पे आजाए लेकिन

हुस्न वालो से अल्लाह बचाए


इनकी मासूमियत पर ना जाना

इनके धोखे में हरगिज ना आना

लुट लेते है ये मुस्कुरा कर 

इनकी चालो से अल्लाह बचाए


 ये लुट लेते है

 ये लुट लेते है

 ये लुट लेते है


शेर-

मोहल्ला है हसीनो का, के कज्जाको की बस्ती है


 ये लुट लेते है

 ये लुट लेते है

 ये लुट लेते है


इनकी फितरत में है बेवफाई

जानती है ये सारी खुदाई

अच्छे अच्छो को देते है धोखा

भोले भालो से अल्लाह बचाए


भोली सूरत हैं बातें हैं भोली 

मूँह में कुछ है मगर दिल में कुछ है 

लाख चेहरा सही चाँद जैसा 

दिल के कालों से अल्लाह बचाये 


दिल में है ख्वाहिश-ए-हूर-ओ-जन्नत 

और ज़ाहिर में शौक़-ए-इबादत 

बस हमें शेख जी आप जैसे 

अल्लाह वालों से अल्लाह बचाये 



क्या था जो घड़ी भर को

क्या था जो घड़ी भर को तुम लौट के आ जाते 

बीमार-ए-मोहौबत को सूरत तो दिखा जाते 


आ जाते, तुम लौट के आ जाते ..... 


शेर- 

क़ासिद पायाम-ए-खत को देना बहुत  मौखूफ 

बस मुख़्तसर ये कहना के आँखें तरस गईं 


आ जाते, तुम लौट के आ जाते ..... 


शेर- 

यूँ ज़िन्दगी गुज़ार रहा हूँ तेरे बगैर 

जैसे कोई गुनाह किये जा रहा हूँ 


आ जाते, तुम लौट के आ जाते ..... 


शेर- 

नाज़ुक तेरे मरीज़-ए-महौबत का हाल है 

दिन कट गया है रात का कटना मुहाल है  


आ जाते, तुम लौट के आ जाते ..... 


शेर-

आ जा के आस टूटने वाली है प्यार की 

बुझने लगी है शमा तेरे इंतज़ार की 


इतने तो करम करते दुःख दर्द मुझे देकर 

शेर-

तसुववर में चले आते तुम्हारा क्या बिगड़ जाता 

तेरा पर्दा बना रहता मुझे दीदार हो जाता  


इतने तो करम करते दुःख दर्द मुझे देकर 

शेर- 

जाती हुई मैय्यत देख के भी वल्लाह तुम उठ के आ न सके 

दो चार कदम तो दुश्मन भी तकलीफ गवारा करते हैं 


इतने तो करम करते दुःख दर्द मुझे देकर 

इक बार मेरे आंसूँ  दामन से सूखा जाते 


क्या था जो घड़ी भर को तुम लौट के आ जाते 

आ जाते, तुम लौट के आ जाते ..... 


फिर दर्द-ए-जुदाई को महसूस न मैं करता 

अच्छा था अगर मुझको दीवाना बना जाते 


क्या था जो घड़ी भर को तुम लौट के आ जाते 


मुझ पर गम-ए -फुरक़त की तौहमत न कभी लगती 

आंखों में अगर अपनी तस्वीर बना जाते 


क्या था जो घड़ी भर को तुम लौट के आ जाते 


फिर उनसे फना मुझको रहता न गिला कोई 

तरमाना मेरा करते दीदार करा जाते 

क्या था जो घड़ी भर को तुम लौट के आ जाते 



ए वादा शिकन

 ए वादा शिकन ख्वाब दिखाना ही नहीं था 

क्यूँ प्यार किया था जो निभाना ही नहीं था 


इस तरह मेरे हाथ से दामन न छुड़ाओ 

दिल तोड़ के जाना था तो आना ही नहीं था 


अल्लाह न मिलने के बहाने थे हजारों 

मिलने के लिए कोई बहाना ही नहीं था 


देखो मेरे सर फोड़ के मरने की अदा भी 

वरना मुझे दीवाना बनाना ही नहीं था 


रोने के लिए सिर्फ मोहब्बत ही नहीं था 

ग़म और भी थे दिल का फ़साना ही नहीं था 


या हम से ही कहते न बनी दिल की कहानी 

या गोश-बर-आवाज़ ज़माना ही नहीं था 


कैसर कोई आया था मेरी बकियागिरी को 

देखा तो गरेबान का ठिकाना ही नहीं था  


सुन चरख़े दी मिठ्ठी मिठ्ठी

सुन चरख़े दी मिठ्ठी मिठ्ठी कूक

माहिया मैनू याद आवंदा

मेरे दिल विचहो उठती ऐ हूँक

माहिया मैनू याद आवंदा


मेरी ईद वाला चन कदों चढ़ेगा

अल्लाह जाने माही कदों वेडे वड़ेगा

दुख ढाडे ने ते ए ज़िन्दहि मलूक


माही आवेगा ते ए खुशियाँ मनवांगी ए

उदेहे राहाँ विच अखियाँ विछावंगी ए

जाँन छडीये है विछोरोएँ ने फूंक ए


ताने मारदे ने अपने शरिक वे

लिख चिट्ठी विच औन दी तरिक वे

काली रात वाली डंगे मैनु शूक


कता पूरियाँ ते हंजु मेरे वघदे

हुन हासे वि नही मैनू चंगे लगदे

किवेएँ भुल जवां उदे मैं सलूक


सुन चरख़े दी मिठ्ठी मिठ्ठी कूक

माहिया मैनू याद आवंदा

आफरीं-आफरीं

हुस्न-ए-जाना की तारीफ़ मुमकिन नहीं

आफरीं-आफरीं

तू भी देखे अगर, तो कहे हमनशीं

आफरीं-आफरीं

हुस्न-ए-जाना... 


ऐसा देखा नहीं खूबसूरत कोई

जिस्म जैसे अजंता की मूरत कोई

जिस्म जैसे निगाहों पे जादू कोई

जिस्म नगमा कोई, जिस्म खुशबू कोई

जिस्म जैसे मचलती हुई रागिनी

जिस्म जैसे महकती हुई चांदनी

जिस्म जैसे के खिलता हुआ इक चमन

जिस्म जैसे के सूरज की पहली किरण

जिस्म तरशा हुआ दिलकश-ओ-दिलनशीं

संदली-संदली, मरमरी-मरमरी

हुस्न-ए-जाना की तारीफ़ मुमकिन नहीं


चेहरा इक फूल की तरह शादाब है

चेहरा उसका है या कोई महताब है

चेहरा जैसे ग़ज़ल, चेहरा जाने ग़ज़ल

चेहरा जैसे कली, चेहरा जैसे कँवल

चेहरा जैसे तसव्वुर भी, तस्वीर भी

चेहरा इक ख्वाब भी, चेहरा ताबीर भी

चेहरा कोई अलिफ़ लैल की दास्ताँ

चेहरा इक पल यकीं, चेहरा इक पल गुमां

चेहरा जैसा के चेहरा कहीं भी नहीं

माहरू-माहरू, महजबीं-महजबीं

हुस्न-ए-जाना की तारीफ़ मुमकिन नहीं


आँखें देखी तो मैं देखता रह गया

जाम दो और दोनों ही दो आतशां

आँखें या मयकदे की ये दो बाब हैं

आँखें इनको कहूँ, या कहूँ ख्वाब हैं

आँखें नीचे हुईं तो हया बन गयीं

आँखें ऊँची हुईं तो दुआ बन गयीं

आँखें उठकर झुकीं तो अदा बन गयीं

आँखें झुककर उठीं तो कदा बन गयीं

आँखें जिनमें है क़ैद आसमां और ज़मीं

नरगिसी-नरगिसी, सुरमई-सुरमई

हुस्न-ए-जाना की तारीफ़ मुमकिन नहीं


ज़ुल्फ़-ए-जाना की भी लम्बी है दास्ताँ

ज़ुल्फ़ की मेरे दिल पर है परछाईयाँ

ज़ुल्फ़ जैसे के उमड़ी हुई हो घटा

ज़ुल्फ़ जैसे के हो कोई काली बला

ज़ुल्फ़ उलझे तो दुनिया परेशान हो

ज़ुल्फ़ सुलझे तो ये दीद आसान हो

ज़ुल्फ़ बिखरे सियाह रात छाने लगी

ज़ुल्फ़ लहराए तो रात जाने लगी

ज़ुल्फ़ ज़ंजीर है, फिर भी कितनी हसीं

रेशमी-रेशमी, अम्बरी-अम्बरी

हुस्न-ए-जाना की तारीफ़ मुमकिन नहीं

आफरीं-आफरीं

छाप तिलक सब छीनी रे

 

 छाप तिलक सब छीनी रे

आ पिया इन नैनन में  पलक ढाँप तोहे लूँ 

न में देखूँ गैर को, न तोहे देखन दूँ 

काजर डारूँ किरकिरा जो सुरमा दिया न जाए 

जिन नैनन में पी बसें तो दूजा कौन समाये 


खुसरो रैन सुहाग की जो मैं जागी पी के संग

तन मोरा मन पिया का जो दोनो एक ही रंग


खुसरो दरिया प्रेम का जो उल्टी वा की धार

जो उभरा सो डूब गया जो डूबा सो पार


अपनी छब बनाइके जो मैं पी के पास गयी

छब देखी जब पिया की मोहे अपनी भूल गयी


छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाई के

बात अघम कह दीनी रे मोसे नैना मिलाई के


बल बल जाऊँ मैं तोरे रंग रजवा

ऐसी रंग रंग दे, रंग नाही छूटे, धोबिया धोए चाहे सारी उमरिया


बल बल जाऊँ मैं तोरे रंग रजवा

अपनी सी रंग दीनी रे मोसे नैना मिलाई के


प्रेम भटी का मधवा पिलाई के 

मतवारी कर दीनी रे मोसे नैना मिलाई के


गोरी गोरी बइयाँ हरी हरी चूड़ियां

बहियाँ पकड़ हर लीनी रे मोसे नैना मिलाई के


खुसरो निज़ाम के बल बल जाइयाँ

मोहे सुहागन कीनी रे मोसे नैना मिलाई के


बहुत कठिन है डगर पनघट की

कैसे भर लाऊँ मैं जमुना से मटकी


ख़्वाजा निज़ामुद्दीन ख़्वाजा निज़ामुद्दीन

लाज राखो मोरे घूंघट पट की


खुसरो निज़ाम के बल बल जाइयाँ

मोहे सुहागन कीनी रे मोसे नैना मिलाई के

तेरे दरवाजे पे चिलमन नहीं देखी जाती

ये कजरवी ना मेरी जान इख़्तियार करो

जो तुमसे प्यार करे तुम भी उससे प्यार करो

कहा जो मैं ने के दिल बेक़रार है मेरा

तो हँस के कहने लगे और बेक़रार करो


दिखाओं जाम ना भर कर मैं  वादा खार नहीं

मेरी नज़र को नज़र से गुनाहगार करो

महक उठेगी जवानी गुलाब की सूरत

हसीन बाँहों को मेरे गले का हार करो


मुझको तस्लीम मैं शराबी हूं

फिर भी फितरत अजीब पाई है

मैं नज़र से शराब पिता हु

मेरी रिंदी भी पारसाई है


फ़िक्र - ए - सूद- ओ- जिया तो छुटेगी

मिन्नत-ए-इन-ओ-आं तो छूटेगी

खैर दोजख में मय मिले ना मिले

शैख़ साहिब से जां तो छूटेगी


शिकन ना डाल जबी पर शराब देते हुए

ये मुस्कुराती हुई चीज मुस्कुरा के पिला

सुरूर चीज़ की मिकदार पे नहीं मौकूफ

शराब कम है तो साकी नज़र मिला के पिला


कुछ मुरक्के है जिंदगानी के

चन्द उन्वान है कहानी के

चांदनी, ज़ुल्फ़, रक्स, शेर, शराब

मुख्तलिफ नाम है जवानी के


शराब-ए-शौक को मस्ती में ला के पीता हूं

मैं माँ सिवा की नज़र से छूपा के पीता हूं

रुकू से जो बचे सजदे में जाके पीता हूँ 

वो रिंद हूं जो खुदा को दिखा के पिता हूं


तेरे दरवाजे पे चिलमन नहीं देखी जाती

जानेजा हमसे ये उलझन नहीं देखी जाती


रुख पे ये ज़ुल्फ़ की उलझन नहीं देखी जाती

फुल की गोद में नागन नहीं देखी जाती


बेहिजाबा ना मिलो हमसे ये पर्दा कैसा

बंद डोली में सुहागन नहीं देखी जाती


जाम में हो तो नज़र आए गुलाबी जोड़ा

हमसे बोतल में ये दुल्हन नहीं देखी जाती


घर बनाए किसी सेहरा में मुहब्बत के लिए

शहर वालो से ये जोगन नहीं देखी जाती


हम नज़र बाज है दिखला हमे देवी का जमाल

मूर्ती हमसे बरामन नहीं देखी जाती


ऐ फ़ना कह दे हवा से के उडा लेजाए

हमसे ये खाक-ए-नशेमन नहीं देखी जाती

साँसों की माला पे

साँसों की माला पे  


आ पिया इन नैनन में

जो पल्क डाप तोहे दू

ना मैं देखूँ गैर को

ना  मैं तोहे देखन दू


काजर डारु किरकरा

सुरमा दिया ना जाए

जिन नैनन में पिया बसे

भला दूजा कोन समाए


नील गगन से भी परे

सैयां जी का गाँव

दर्शन जल की कामना

पत रखियों है राम 


अब किस्मत के हाथ है 

इस बंदन की लाज

मेने तो मन लिख दिया 

सावरिया के नाम


जाने कोन से भेष में 

सावरिया मिल जाए

झुक झुक कर संसार में

सबको करू सलाम


वो चातर है कामनी 

वो है सुन्दर नार

जिस पगली ने कर लिया

साजन का मन राम


जबसे राधा श्याम के 

नैन हुए है चार

श्याम बने है राधिका

राधा बन गई श्याम


साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम

साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम


अपने मन की मैं  जानू और पी के मन की राम

साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम


यही मेरी बंदगी है,

यही मेरी पूजा


साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम


एक का साजिद मंदिर में 

और एक का प्रीतम मस्जिद में

पर मैं ,


साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम


हम और नहीं कछु काम के

मतवारे पी के नाम के है


साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम


सजनी पाती तब लिखू

जो प्रीतम हो परदेश

तन में, मन में पिया बसे

अब भेजू किसे संदेस


साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम


हर हर में है हर बसे

इसमें, उसमे, तुझमे, मुझमे

हर हर में है हर बसे

हर हर को हर की आस

हर को हर हर ढूढ़ फिरी

हर हर है मोरे पास


साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम


प्रेम के रंग में ऐसी डूबी बन गया एक ही रूप 

प्रेम की माला जपते जपते

आप बनी मैं श्याम

साँसों की माला पे सिमरु में पी का नाम


प्रीतम का कुछ दोष नहीं है

वो तो है निर्दोष

अपने आप से बाते करके

हो गई मैं बदनाम

साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम


प्रेम पियाला जबसे पीया है

जी का है ये हाल

अंगारों पे नींद आये

काँटों पे आराम

साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम


जीवन का श्रुंगार है प्रीतम

मांग का है सिंदूर

प्रीतम की नजरो से गिरकर 

है जीना किस काम

साँसों की माला पे सिमरु मैं पी का नाम



सयोनी

 सयोनी 

 सयोनी 

चैन इक पल नहीं 

चैन इक पल नहीं 

चैन इक पल नहीं 

और कोई हल नहीं 

सयोनी  


छोड़ मेरी ख़ता 

तू तो पागल नहीं 

चैन एक पल नही

और कोई हल नही


कौन मोड़े मुहार 

कोई सावन नही

चैन एक पल नही

और कोई हल नही


क्या बशर की बिसात

आज है कल नही

चैन एक पल नही

और कोई हल नही


ओ सयोनी