भगत सिंह - अंबेडकर के रास्ते

सरगम 

उठो मेरे देश, नये भारत के वास्ते

सा ग रे ग, ग ग ग ग रे सा रे 

भगत सिंह, अंबेडकर के रास्ते

ध़ रे रे, ध़ रे रे, सा सा 


जातियों और मज़हबों का शोर है हर ओर क्यूं

प ग रे, प ग रे, ध़ रे रे सा सा 

भूख और बेगारियों पर हुक्मरां खामोश क्यूं

प ग रे, प ग रे, ध़ रे रे सा सा 


बढ़ो मेरे देश...

सा ग रे ग, ग ग ग ग रे सा रे, ध़ रे रे, ध़ रे रे, सा सा 

भगत सिंह ,अंबेडकर के रास्ते :बोल 

उठो मेरे देश, नये भारत के वास्ते
भगत सिंह, अंबेडकर के रास्ते

जातियों और मज़हबों का शोर है हर ओर क्यूं
भूख और बेगारियों पर हुक्मरां खामोश क्यूं
बढ़ो मेरे देश...

झूठ के सारे किलों को तोड़ने के वास्ते
नफरतों की आंधियों को मोड़ने के वास्ते
चलो मेरे देश...

जंग तो ये छिड़ गई है किसका हिंदुस्तान है
हुक्मरां सब इक तरफ हैं, इक ओर आवाम है
लड़ो मेरे देश...

इस अंधेरे मे छिपा है जीत का इक सिलसिला
अनगिनत कुरबानियों से आ रही है ये सदा
सुनो मेरे देश...

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