आँख उठी मोहब्बत ने अंगडाई ली- नुसरत
शेर-
आज की बात फिर नहीं होगी
ये मुलाकात फिर नहीं होगी
ऐसे बादल तो फिर भी आएंगे
ऐसी बरसात फिर नहीं होगी
रात उनको भी ये हुआ महसूस
जैसे ये रात फिर नहीं होगी
एक नजर मुड़के देखने वाले
क्या ये खैरात फिर नहीं होगी
शेर-
ये जो दीवाने से दो चार नजर आते हैं
इनमे कुछ साहिब-ए-असरार नजर आते हैं
तेरी महफ़िल का भरम रखते हैं सो जाते हैं
वरना ये लोग तो बेदार नजर आते हैं
मेरे दामन में तो काँटों के सिवा कुछ भी नहीं
आप फूलों के खरीददार नजर आते हैं
हश्र में कौन गवाई मेरी देगा सागिर
सब तुम्हारे ही तरफ़दार नजर आते हैं
शेर-
चांदनी रात याद आती हैं
वो मुलाकात याद आती हैं
देख कर उन घनेरी ज़ुल्फ़ों को
मस्त बरसात याद आती है
शेर-
तन्हाई में फ़रियाद तो कर सकता हूँ
वीराने को आबाद तो कर सकता हूँ
जब चाहूँ तुम्हें मिल नहीं सकता लेकिन
जब चाहूँ तुम्हें याद तो कर सकता हूँ
शेर-
अच्छी सूरत को सवरने की ज़रुरत क्या है
सादगी में भी क़यामत की अदा होती है
तुम जो आ जाते हो मस्जिद में अदा करने नमाज़
तुमको मालूम है कितनों की क़ज़ा होती है
शेर-
मैंने मासूम बहारों में तुम्हें देखा है
मैंने पुर-नूर सितारों में तुम्हें देखा है
मेरे मेहबूब तेरी पर्दा-नशीनीं की कसम
मैनें अश्क़ों की क़तारों में तुम्हें देखा है
आँख उठी मोहब्बत ने अंगड़ाई ली
शेर-
जरा बच के चलना
संभलना संभलना
आँख उठी मोहब्बत ने अंगड़ाई ली
शेर-
तिरछी नजरों से न देखो
आशिक़-ए-दिलजीर को
कैसे तीरंदाज हो सीधा तो कर लो तीर को
आँख उठी मोहब्बत ने अंगड़ाई ली
शेर-
जिधर उठाई नजर कत्ल-ए-आम तुमने किया
कजा का नाम हुआ काम तुमने किया
आँख उठी मोहब्बत ने अंगड़ाई ली
दिल का सौदा हुआ चाँदनी रात में
उनकी नज़रों ने कुछ ऐसा जादू किया
लुट गए हम तो पहली मुलाकात में
उनकी नज़रों ने हमपे ऐसा जादू किया,उनकी नज़रों ने...
शेर-
खुद तड़प कर उन के जानिब दिल गया
उनकी नज़रों ने हमपे ऐसा जादू किया,उनकी नज़रों ने...
शेर-
शराब सीक पर डाली कबाब शीशे में
उनकी नज़रों ने हमपे ऐसा जादू किया,उनकी नज़रों ने...
शेर-
हम होश भी अपने भूल गए
ईमान भी अपना भूल गए
इक दिल ही नहीं उस बज़्म में
हम न जाने क्या क्या भूल गए
जो बात थी उनको कहने की
वो बात ही कहना भूल गए
गैरों के फ़साने याद रहे
हम अपना फ़साना भूल गए
उनकी नज़रों ने हमपे ऐसा जादू किया,उनकी नज़रों ने...
शेर-
क्या क्या निगाह-ए-यार में तासीर हो गयी
बिजली कभी बनी कभी शमशीर हो गयी
ऐसी मिली है अपनी नज़र उस नज़र के साथ
सब छोड़ने पड़ें हैं मुझे उम्र भर के साथ
महफ़िल में बार बार उन पर नज़र गयी
हमने बचाई लाख मगर फिर उधर गयी
उनकी निगाह में कोई जादू ज़रूर था
जिस पर पड़ी उसी के जिगर में उतर गयी
उनकी नज़रों ने हमपे ऐसा जादू किया,उनकी नज़रों ने..
बनके तस्वीर-ऐ-ग़म रह गए हैं
खोये खोये से हम रह गए हैं
बाँट ली सबने आपस में खुशियां
मेरे हिस्से में ग़म रह गए हैं
अब न उठना सरहाने से मेरे
अब तो गिनती के दम रह गए हैं
काफिला चल के मंजिल को पौंछा
ठहरो ठहरो में हम रह गए हैं
ऐ सबा इक ज़ेहमत ज़रा फिर
उनकी ज़ुल्फ़ों में खम रह गए हैं
देख कर उनके मंगतों की गैरत
तंग अहल-ऐ-हरम रह गए हैं
उनकी सद्दारियां कुछ न पूछो
आशियों के भ्रम रह गए हैं
कायनात-ए-जफ़ा-ओ-वफ़ा में
एक तुम एक हम रह गए हैं
आज साकी पिला शैख़ को भी
एक ये मोहतरम रह गए हैं
अल्लाह अल्लाह ये किसकी गली है
उठते उठते कदम रह गए हैं
उनकी नज़रों ने हमपे ऐसा जादू किया,
लूट गए हम तो पहली मुलाकात में,
साथ अपना वफा में न छूटे कभी
प्यार की डोर बंधकर न टूटे कभी
छुट जाए ज़माना कोई गम नहीं
हाथ तेरा रहे बस मेरे हाथ में
रुत है बरसात की देखो जिद मत करो
रात अँधेरी है बादल हैं छाहें हुएँ
रुक भी जाओ सनम तुमको मेरी कसम
अब कहाँ जाओगे ऐसी बरसात में
है तेरी याद इस दिल से लिपटी हुई
हर घड़ी है तसव्वुर तेरे हुस्न का
तेरी उल्फत का पहरा लगा है सनम
कौन आएगा मेरे ख्यालात में
जिस तरह चाहें वो आज़मा ले हमे
मुंतज़र हैं बस उनके इशारे के हम
मुस्कुरा के फ़ना वो तलब तो करें
जान भी अपनी दे देंगे सौगात में
आँख उठी मोहब्बत ने अंगडाई ली
दिल का सौदा हुआ चाँदनी रात में
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