आग दामन में लग जाएगी - नुसरत
आग दामन में लग जाएगी
दिल में शोला मचल जायेगा
मेरा सागर न छूना कभी
साकिया हाथ जल जायेगा
मेरे अश्क़ भी है इसमें
ये शराब उबल न जाये
मेरा जाम छूने वाले
तेरा हाथ जल न जाये
मेरा सागर न छूना कभी
साकिया हाथ जल जायेगा
एक दिन वो ज़रूर आएंगे
दर्द का साया टल जायेगा
इस जमाने की परवाह नहीं
ये ज़माना बदल जायेगा
आ गया मेरी आँखों में दम
अब तो जलवा दिखा दीजिये
आप की बात रह जाएगी
मेरा अरमान निकल जायेगा
बेसबब हमसे रूठो न तुम
ये लड़ाई बुरी चीज़ है
बेसबब हमसे रूठो, रूठो न तुम, बेसबब हमसे रूठो....
शेर-
ये अदा है या दिल का जलाना
हम मनाते हैं तुम रूठते हो
हम जो रूठे तो पछताओगे तुम
रोज़ तुमको मनाने पड़ेगा
बेसबब हमसे रूठो, रूठो न तुम, बेसबब हमसे रूठो....
शेर-
मिलना है जो गैरों से
तो साफ़ ही कह दो
यूँ रूठ के जाने का
बहाना नहीं अच्छा
बेसबब हमसे रूठो, रूठो न तुम, बेसबब हमसे रूठो....
बेसबब हमसे रूठो न तुम
ये लड़ाई बुरी चीज़ है
सुलह कर लो खुदा के लिए
ये बुरा वक्त टल जायेगा
मयकशों उस नज़र की सुनों
कह रही है वो शोला बदन
मैं नहीं जाम में आग है
जो पीयेगा वो जल जाएगा
कोई आंसू नहीं आँख में
बात घर की अभी घर में है
तुम जो यूँहीं सताते रहे
दर्द अश्क़ों में गए ढल जायेगा
दूर हैं जब तलक तुमसे हम
कैसे होगा मदावा-ए-गम
इक दफा तुम मिलो तो सनम
ग़म ख़ुशी में बदल जायेगा
गर यूँहीं घर में बैठा रहा
मार डालेंगी तन्हाईयाँ
चल ज़रा मयकदे में चलें
ऐ फ़ना दिल बहल जायेगा
आग दामन में लग जाएगी
दिल में शोला मचल जायेगा
.....
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