कहना गलत गलत तो छुपाना सही-सही -नुसरत
शेर-
तन्हाई में फ़रियाद तो कर सकता हूँ
वीराने को आबाद तो कर सकता हूँ
जब चाहूँ तुम्हें मिल नहीं सकता लेकिन
जब चाहूँ तुम्हें याद तो कर सकता हूँ
शेर-
कोई हांसे तो तुझे गम लगे हंसी न लगे
के दिल्लगी भी तेरे दिल को दिल्लगी न लगे
तू रोज़ रोया करे उठके चाँद रातों में
खुदा करे तेरा मेरे बगैर जी न लगे
शेर-
अच्छी सूरत को सवरने की ज़रुरत क्या है
सादगी में भी क़यामत की अदा होती है
तुम जो आ जाते हो मस्जिद में अदा करने नमाज़
तुमको मालूम है कितनों की कज़ा होती है
शेर-
ये जो दीवाने से दो चार नज़र आते हैं
इनमें कुछ साहिब-ए-असरार नज़र आते हैं
तेरी महफ़िल का बरहम रकते हैं सो जाते हैं
वरना ये लोग तो बेदार नज़र आते हैं
मेरे दामन में काटों के सिवा कुछ भी नहीं
आप फूलों के खरीददार नज़र आते हैं
हश्र में कौन मेरी गवाही देगा सागर
सब तुम्हारे ही तरफ़दार नज़र आते हैं
शेर-
क़ासिद पायाम-ए-खत को देना बहुत ना-तूल
बस मुख़्तसर ये कहना की आँखें तरस गयी
कहना गलत गलत तो छुपाना सही-सही
क़ासिद खा जो उसने बताना सही-सही
ये सुबहो सुबहो चेहरे की रंगत उड़ी हुई
कल रात तुम कहाँ थे बताना सही-सही
मैंने पूछा के कल शब कहाँ थे
पहले शर्माए फिर हंस के बोले
बात क्यों ऐसी तुम पूछते हो
जो बताने के काबिल नहीं है
कल रात तुम कहाँ थे बताना सही-सही
शेर-
ये उड़ी-उड़ी सी रंगत
ये खुले-खुले से केसु
तेरी सुबह कह रही है
तेरी शाम का फ़साना
कल रात तुम कहाँ थे बताना सही-सही
शेर-
न हम समझे न तुम आए कहीं से
पसीना पोंछिए अपनी ज़बीं से
कल रात तुम कहाँ थे बताना सही-सही
दिल लेके मेरा हाथ में कहते हैं मुझसे वो
क्या लोगे इसके दाम बताना सही-सही
आँखें मिलाओ गैर से दो हमको जाम-ए-मय
साक़ी तुम्हें कसम है पिलाना सही-सही
शेर-
नशे में गिराना तो सब को आता है
मज़ा तो तब है के गिरते हुओं को थाम ले साक़ी
साक़ी तुम्हें कसम है पिलाना सही-सही
शेर-
नशा ईमान होता है
सुराही दीन होती है
जवानी की इबादत किस कदर रंगीन होती है
शराब-ए-नाब को दो आतिशें बना के पिला
शराब कम है तो साक़ी नज़र मिला के पिला
शराब का कोई अपना सरीह रंग नहीं
शराब तजसिया-ए-एहतेसाब करती है
जो अहल-ए-दिल हैं बढ़ाती है आबरू उनकी
जो बे-शऊर हैं उनको खराब करती है
साक़ी तुम्हें कसम है पिलाना सही-सही
ऐ मयफरोश भीड़ है तेरी दूकान पर
गाहक है हम बिमाल दिखाना सही-सही
साजिद तो जान-ओ-दिल से फकत आपका है बस
क्या आप भी हैं उसके बताना सही-सही
कहना गलत गलत तो छुपाना सही-सही
क़ासिद खा जो उसने बताना सही-सही
.....
No comments:
Post a Comment