ये जो हल्का हल्का सुरूर (Full)

ये जो हल्का हल्का सुरूर है - नुसरत 

शेर-
साक़ी की हर निगाह पे बल खा के पी गया
लहरों से खेलता हुआ लहरा के पी गया
ऐ रहमत-ए-तमाम  मेरी हर ख़ता मुआफ़
मैं इन्तहा-ए-शौक़ में घबरा के पी गया
पीता बग़ैर इज़्न ये कब थी मेरी मजाल
दर पर्दाह चश्म-ए-यार की शह पा के पी गया
जाहीद ये मेरी शोखी-ए-ज़िंदा न देखना 
रहमत को बातों बातों में बहलाके पी गया 

शेर-
ऊधी-ऊधी घटाएं आती हैं  
मुतरिबों की नवायें आती हैं 
किसके  केसु  खुले है सावन में 
महकी महकी हवाएं आती हैं 
आओ सहन-ए-चमन में रक्स करें 
साज़ लेकर घटायें आती है 
देखकर उनकी  अकनियों को अदम
मयकदों को ह्याएँ आती हैं  

शेर-
पास रहता है दूर रहता है
कोई दिल में ज़रूर रहता है
जब से देखा है उन की आंखों को
हल्का हल्का सुरूर रहता है
ऐसे रहते हैं वो मेरे दिल में
जैसे ज़ुल्मत में नूर रहता है
अब अदम का ये हाल है हर वक्त
मस्त रहता है चूर रहता है


ये जो हल्का हल्का सुरूर है
ये तेरी नज़र का कसूर है
के शराब पीना सिखा दिया

तेरे प्यार ने तेरी चाह ने
तेरी बहकी बहकी निगाह ने
मुझे इक शराबी बना दिया

शराब कैसी खुमार कैसा
ये सब तुम्हारी नवाज़िशें  हैं
पिलाई है किस नज़र से तू ने
के मुझको अपनी ख़बर नही है

तेरे प्यार ने तेरी चाह ने
तेरी बहकी बहकी निगाह ने
मुझे इक शराबी बना दिया

सारा जहान मस्त जहान का निज़ाम मस्त
दिन मस्त रात मस्त सहर मस्त शाम मस्त
दिल मस्त शीशा मस्त सुबू मस्त जाम मस्त
है तेरी चश्म-ए-मस्त से हर ख़ास-ओ-आम मस्त
यूँ तो साकी हर तरह की तेरे मयखाने में है
वो भी थोडी सी जो इन आँखों के पैमाने में है
सब समझता हूँ तेरी इशवागरी ऐ साकी
काम करती है नज़र नाम है पैमाने का

तेरे प्यार ने तेरी चाह ने
तेरी बहकी बहकी निगाह ने
मुझे इक शराबी बना दिया

शेर-
मैंने माना जनाब पीता हूँ 
ज़िन्दगी का अज़्ज़ाब पीता हूँ 
बनके खाना खराब पीता हूँ 
रोज़-ए-महशर हिसाब हो न सका 
इसलिए बेहिसाब पीता हूँ 

तेरे प्यार ने तेरी चाह ने
तेरी बहकी बहकी निगाह ने
मुझे इक शराबी बना दिया

शेर-
जाम है माहताब है साकी 
सारा मौसम शराब है साकी 
बाज़ लम्हात ऐसे होते हैं 
जिनमें पीना सवाब  है साकी 

तेरे प्यार ने तेरी चाह ने
तेरी बहकी बहकी निगाह ने
मुझे इक शराबी बना दिया

शेर-
अच्छी पीली खराब पीली 
थी आग मिसाल-ए-हबाब पीली 
आदत है अब तो नशा न कैफ़ 
पानी न पीया शराब पी ली 
नशा ईमान होता है सुराही दीन होती है 
जवानी की इबादत किस कदर रंगीन होती है 
तुम्हारा हुस्न अगर बेनकाब  हो जाये 
हर इक चेहरा खुदा की किताब हो जाये 
जो कायदे से न हो वो फिजूल है सजदा 
अदब के साथ खता भी सवाब हो जाये 
शराबियों को अक़ीदत है इस कदर तुमसे 
जो तुम पीला दो तो पानी शराब हो जाये 
दिल उसका नमाज़ी हो जाये 
आँख उसकी शराबी हो जाये 
जिसको तू मुहोब्बत से देखे 
साकी वो शराबी हो जाये 

तेरे प्यार ने तेरी चाह ने
तेरी बहकी बहकी निगाह ने
मुझे इक शराबी बना दिया

मेरा प्यार है तेरी ज़िन्दगी
बस मेरी ज़िन्दगी तेरा प्यार है 

शेर-
ना नमाज़ आती है मुझको न वजू आता है
सजदा कर लेता हूँ जब सामने तू आता है

बस मेरी ज़िन्दगी तेरा प्यार है 

मैं अज़ल से बन्दा-ए-इश्क हूँ
मुझे ज़ोह्द-ओ-कुफ्र का ग़म नहीं
मेरे सर को दर तेरा मिल गया
मुझे अब तलाश-ए-हरम  नहीं
मेरी बंदगी है वो बंदगी
जो बा-कैद-ए-दैर-ओ-हरम नहीं
मेरा इक नज़र तुम्हें देखना
बा खुदा नमाज़ से कम नहीं

बस मेरी ज़िन्दगी तेरा प्यार है

शेर-
तेरा नाम लूँ ज़ुबान से तेरे आगे सर झुका दूँ
मेरा इश्क कह रहा है मैं तुझे खुदा बना दूँ
तेरा नाम मेरे लब पर मेरा तज़करा है दर दर
मुझे भूल जाए दुनिया मैं अगर तुझे भुला दूँ
मेरे दिल में बस रहे हैं तेरे बेपनाह जलवे
न हो जिस में नूर तेरा वो चराग ही बुझा दूँ
तेरी दिल्लगी के सदके तेरे संग्दली के कुर्बान
मेरे ग़म पे हसने वाले तुम्हे कौन सी दुआ दूँ

बस मेरी ज़िन्दगी तेरा प्यार है

शेर-
ज़ुल्फ़ रुख से हटाके बात करों 
रात को दिन बना के बात करो 
मयकदे के चराग मद्धम हैं 
ज़रा आँखें उठा के बात करों 
फूल कुछ चाहिए हुजूर हमें 
तुम ज़रा मुस्कुरा के बात करों 
ये भी अंदाज़-ए-गुफ्तुगू है कोई 
जब करो दिल दुखाके बात करो 

बस मेरी ज़िन्दगी तेरा प्यार है

शेर-
दिल की तलब है और तमन्ना है जान की 
क्या मेहरबानियां है मेरे मेहरबान की 
नाजुक मिजाज हो न कोई यार की तरह 
खिंचता है बात बात पर तलवार की तरह 
दिल मुफ्त चाहता है मगर सबके सामने 
कीमत लगा रहा है खरीददार की तरह 

बस मेरी ज़िन्दगी तेरा प्यार है

शेर-
क़यामत में तेरा दाग-ए-मोहब्बत लेके उठूंगा
तेरी तस्वीर उस दम भी कलेजे से लगी होगी

क्यूँकि
बस मेरी ज़िन्दगी तेरा प्यार है
तेरा प्यार है मेरी ज़िन्दगी
तेरी याद है मेरी बंदगी
जो तेरी ख़ुशी वो मेरी ख़ुशी
यह मेरे जुनून का है मोजिज़ा
जहाँ अपने सर को झुका दिया
वहाँ मैंने काबा बना दिया

मेरे बाद किसको सताओगे

मैंने उन के सामने 
अव्वल का ख़ंजर रख दिया
फिर कलेजा रख दिया दिल रख दिया सर रख दिया
और अर्ज़ किया

मेरे बाद किसको सताओगे

शेर-
मैंने कहा मिजगान है ये 
उसने कहा  तीर है 
मैनें कहा अबरू है ये 
उसने कहा शमशीर हैं 
मैंने कहा चेहरे पे क्यूँ 
बल खाती हैं ज़ुल्फ़-ऐ-तोंहा 
उसने कहा ये आशिक़ों के 
वास्ते ज़ंजीर है 
मैंने कहा फुरकत में तेरी 
जान पर खेला  हूँ मैं 
उसने कहा ज़िंदा रहा 
ये भी तेरी तक़दीर है 
मैंने तुमको दिल दिया 
तुमने मुझको रुस्वा किया 
मैंने तुमसे क्या किया 
और तुमने मुझसे क्या किया 

मेरे बाद किसको सताओगे

दिल जलों से दिल्लगी अच्छी नहीं
रोने वालों से हँसी अच्छी नहीं
दिल्लगी ही दिल्लगी में दिल गया
दिल लगाने का नतीजा मिल गया
तुम क्यों हस्ते हो तुम्हे क्या मिल गया
मैं तो रोता हूँ के मेरा दिल गया

मेरे बाद किसको सताओगे

शेर-
जितना जी चाहे सताओ वक्त है 
बेकसम पर मुस्कुराओ वक्त है 
देखलेना मैं न तड़पूँगा जहीर 
शौक से खंजर चलाओ वक्त है 

मेरे बाद किसको सताओगे

शेर-
मेरी वफ़ाएं याद  करोगे 
रोवोगे फ़रियाद करोगे 
मुझको तो बर्बाद किया है 
और किसे बर्बाद करोगे 
आकर भी नाशाद किया है 
जाकर भी नाशाद करोगे 
तेरा ज़ुल्म नहीं है शामिल 
गर मेरी बर्बादी में 
तेरी आँखें भीग रहीं हैं 
क्यूँ मेरे अफसाने से 
पर ये तोह बता  दो 

मेरे बाद किसको सताओगे 

शेर-
जो पूछा के किस तरह होती है बारिश
जबीं से पसीने की बूँदें गिरा  दीं
जो पूछा के किस तरह गिरती है बिजली
निगाहें  मिलाईं मिला कर झुका दीं
जो पूछा शब-ओ-रोज़ मिलते हैं कैसे
तो चहरे पे अपने वो जुल्फें  गिरा दीं
जो पूछा के नगमों में जादू है कैसा 
तो मीठे तकल्लुम में बातें सुना दीं
जो अपनी तमन्नाओं का हाल पुछा  
तो जलती हुई चंद शम्में बुझा दीं
मैं कहता रह गया खता-ए-मोहब्बत की अच्छी सज़ा दी
मेरे दिल की दुनिया बना कर मिटा दी
 अच्छा ! मेरे बाद किसको सताओगे

मेरे बाद किसको सताओगे
मुझे किस तरह से मिटाओगे
कहाँ जा के जीड़ी चलाओगे
मेरी दोस्ती की बलायें लो 
मुझे हाथ उठा कर दुआएं दो 
तुम्हें एक कातिल बना दिया

ये जो हल्का हल्का सुरूर है
ये तेरी नज़र का कसूर है
के शराब पीना सिखा दिया

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