‘‘सभी देशों की मेहनतकश जनता के हित में, लेखकों को एक लड़ा़ाकू यथार्थवाद को अपनाने के लिए ललकारा जाना चाहिए। केवल एक समझौताविहीन यथार्थवाद ,जो सच्चाई पर, यानी शोषण -उत्पीड़न पर पर्दा डालने के सभी प्रयासों से जूझेगा, केवल वही शोषण और उत्पीड़न की कड़ी निन्दाकर उनकी कलई खोल सकता है।
- ब्रतोल्त ब्रेख्त
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