लू शुन
"व्यंग्यकार होना खतरनाक है,
... उसके व्यंग्य का उद्देश्य समाज है, और जब तक समाज नहीं बदलता, तब तक उसका व्यंग्य कायम रहेगा... और जबतक उसका व्यंग्य कायम रहेगा, आपका प्रहार बेकार जाएगा।
इसलिए किसी बेअदब व्यंग्यकार को परास्त करना है, तो समाज को बदल डालिये।"
-लू शुन
"मैंने शब्दाडंबरों से बचने का भरपूर प्रयास किया। अगर मुझे लगा कि मैंने अपना भाव अच्छी तरह स्पष्ट कर दिया तो सीधे-सपाट ढंग से भी अपनी बात कह कर मुझे खुशी होती थी। पुराने चीनी रंगमंच पर कोइे दृश्यावली नहीं होती थी और नये साल पर बच्चों को बेची जानेवाली तस्वीरों में चित्रकारी बहुत कम ही होती है। इन चीजों ने मुझे इस बात का कायल बनाया कि मेरे उद्देश्य के लिए ऐसे तरीके ही उचित हैं। मैं कभी गैर जरूरी बिस्तार में नहीं उलझा और संवाद का प्रयोग भी कम से कम किया।"
-लू शुन
......
No comments:
Post a Comment